BY. AMIR IQBAL
पूरे देश मे चुनाव का महासंग्राम चल रहा है ऐसे मे सत्ताधारी और विपक्ष दोनो अपने अपने वोट बैंक बढ़ाने मे लगे हुए है दोनो तरफ से सेंकड़ों वादे किए जा रहे है सत्ता पक्ष इस चुनाव में मंगलसूत्र बचाव का नारा देकर देश की महिलाओ को अपनी तरफ करने की पूरी कोशिश कर रही है
आइए थोड़ा देखते है कितनी महत्वपूर्ण रोल रखती है सत्ता बनाने और हटाने मे देश की नारी शक्त
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देखा जाए तो 2019 में पहली दफह देश की इतिहास मे ऐसा हुआ था की महिलाओ का मतदान प्रतिशत पुरुषो की तुलना में अधिक था
हालांकि दोनो मे कुछ ज्यादा फर्क़ नहीं थी पुरुषों की मतदान 67.02 प्रतिशत वही 67.18 प्रतिशत महिलाओं का मतदान था देश मे 47.1 करोड़ महिलाये पंजीकृत मतदाता है बीजेपी सरकार कई सारे योजनाए चलाए जिससे अधिकतर महिलाओं को लाभ होने का वादा किया गया जैसे की उज्ज्वला योजना, लखपति दीदी ऐसे कई सारी योजना सुरू कि गई हालांकि जामिनी स्तर पर देखा जाए तो उज्ज्वला योजना सफल होता हुआ दिख नहीं रहा है उज्ज्वला योजना का मुख्य उद्देश्य था की गरीब परिवारों को गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया जाए मगर गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमत के कारण ज्यादातर गरीब परिवार रिफिल करवा ही नहीं पाई ऐसे मे सवाल ये उठता है की सरकार सच मे महिलाओ को राहत देना चाहती है या अपना वोट बैंक बनाना चाहती है 2019 के ऐक्सिस माय इंडियन पोल सर्वेक्षण के मुताबिक 46 प्रतिशत महिला ने बीजेपी को वोट दिया था ऐसा नहीं है की महिला मतदाताओं का उभार 2014 के बाद आई है बिहार मे नीतीश कुमार अती पिछड़ा जाती के महिलाओ से अलग अलग वादे ,योजना दे कर अपना वोट बैंक बनाया और लालू प्रसाद यादव के जातिगत गणित को असफल करने में कामयाब रहे | 2023 में काँग्रेस अगर कर्नाटक में अपने जीत हासिल कर पाई है तो उसमे कहीं ना कहीं कॉंग्रेस पार्टी को गृह लक्ष्मी योजना से काफी मदद मिली थी इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परिवार के महिला मुखियाओं को हर महीने 2000 की राशि दी जाएगी
ऐसे में सवाल ये उठता है की महिला मतदाताओं को अब पार्टियों द्वारा वोट बैंक बनाया जा रहा है ?
इसमें कोई संदेह नहीं हैं की महिला मतदाता इस देश मे सत्ता बनाने और हटाने में महत्त्वपूर्ण रोल निभाती है
ये मेरा खुद का विचार है