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राहुल गांधी vs मायावती: ‘बीजेपी की बी टीम’ की बहस क्या सियासी चाल है? किसे फायदा, किसे नुकसान

नई दिल्ली, 21 फरवरी 2025 : भारतीय राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती पर तीखा हमला बोला। राहुल गांधी ने मायावती पर बीजेपी की ‘बी टीम’ बनकर काम करने का एक बड़ा आरोप लगाया है और कहा कि वह ठीक से चुनाव नहीं लड़ रही हैं। राहुल के इस बयान के जवाब में मायावती ने भी पलटवार किया और कांग्रेस पर जातिवादी रवैया अपनाने का बड़ा इल्ज़ाम लगाया। यह बहस अब एक बड़े सियासी मुद्दे के रूप में उभर रही है, जिसके पीछे कई सवाल सामने आ रहे हैं क्या यह महज एक जुबानी जंग है या इसके पीछे कोई गहरी सियासी चाल छिपी हुई है? और इससे किसे फायदा होगा और किसे होगा नुकसान?

राहुल गांधी vs मायावती

राहुल गांधी का हमला

हाल में ही रायबरेली में एक जनसभा के दौरान राहुल गांधी ने मायावती पर निशाना साधते हुए कहा, “हम चाहते थे कि मायावती बीजेपी के खिलाफ हमारे साथ मिलकर चुनाव लड़ें। अगर कांग्रेस, सपा और बीएसपी एक साथ आ जाते, तो बीजेपी कभी चुनाव न जीत पाती। लेकिन मायावती ठीक से चुनाव क्यों नहीं लड़ रही हैं? वह अभी बीजेपी की बी टीम बनकर काम कर रही हैं। राहुल के इस बयान ने उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है, जहां बीएसपी का प्रभाव कभी दलित वोटों के जरिए निर्णायक हुआ करता था।

मायावती का जवाब

मायावती ने राहुल के आरोपों का करारा जवाब देते हुए कहा की, कांग्रेस का इतिहास ही जातिवाद और गरीबों के खिलाफ रहा है। राहुल गांधी का यह बयान में उनकी हताशा दिखाता है। बीएसपी ने हमेशा दलितों और वंचितों के हक की लड़ाई लड़ी है, जबकि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए इन वर्गों के लोगों को नजरअंदाज किया है। मायावती ने यह भी जोड़ा कि उनकी पार्टी बीजेपी या कांग्रेस, किसी की भी बी टीम नहीं है, बल्कि स्वतंत्र रूप से अपनी विचारधारा पर चलती है।

सियासी चाल या मजबूरी?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी का यह बयान महज संयोग नहीं है। उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिशें तेज हो रही हैं। राहुल का यह हमला मायावती को गठबंधन के लिए दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है। दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञ इसे बीएसपी के कमजोर होते जनाधार से जोड़कर देख रहे हैं। पिछले कुछ चुनावों में बीएसपी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है, और राहुल शायद इस कमजोरी का फायदा उठाकर कांग्रेस को दलित वोटों का नया ठिकाना बनाना चाहते हैं।

किसे फायदा, किसे नुकसान?

कांग्रेस के लिए संभावित फायदा : राहुल गांधी का यह बयान बीएसपी के समर्थकों में असंतोष पैदा कर सकता है, जिससे दलित वोट कांग्रेस की ओर खिसक सकते हैं। अगर विपक्षी गठबंधन में बीएसपी शामिल नहीं होती, तो कांग्रेस खुद को बीजेपी के खिलाफ सबसे मजबूत विकल्प के रूप में पेश कर सकती है।
मायावती और बीएसपी को नुकसान : मायावती पर ‘बीजेपी की बी टीम’ का ठप्पा उनकी साख को नुकसान पहुंचा सकता है। दलित वोटरों के बीच यह संदेश जा सकता है कि बीएसपी अब उनकी आवाज नहीं रही, जिससे पार्टी का आधार और कमजोर हो सकता है।
बीजेपी की चुप्पी का मतलब : बीजेपी ने इस बहस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन जानकार मानते हैं कि यह विवाद उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। विपक्षी दलों में आपसी कलह बीजेपी को मजबूत कर सकती है, खासकर उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में।

आगे क्या?

यह बहस आने वाले दिनों में और तेज हो सकती है। अगर मायावती गठबंधन से दूरी बनाए रखती हैं, तो विपक्षी एकता कमजोर पड़ सकती है। वहीं, राहुल गांधी की यह रणनीति कांग्रेस को कितना फायदा पहुंचाएगी, यह उनके अगले कदमों और जनता की प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगा। फिलहाल, यह साफ है कि उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया मोड़ आ चुका है, और इसका असर लंबे समय तक देखने को मिल सकता है।

राजनीति के इस खेल में कौन बाजी मारेगा और कौन पीछे छूटेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि ‘बीजेपी की बी टीम’ वाली यह बहस अभी थमने वाली नहीं है।

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