गुवाहाटी/बरपेटा असम के मशहूर गायक Zubeen Garg की 52 वर्ष की आयु में सिंगापुर के लाज़ारस आइलैंड के पास एक स्कूबा डाइविंग दुर्घटना में हुई मौत ने न केवल उनके चाहने वालों को झकझोर दिया बल्कि धार्मिक रूप से विभाजित असम को भी एकजुट कर दिया। ट्रक ड्राइवर इमाम हुसैन जैसे हजारों प्रशंसकों ने बताया कि कैसे ज़ुबीन की आवाज़ ने उन्हें वर्षों तक सुकून दिया।
सिंगापुर में अनोखी श्रद्धांजलि
सिंगापुर में आयोजित नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल में भाग लेने गए ज़ुबीन गर्ग की मृत्यु के बाद जिस स्थान पर यह हादसा हुआ उस द्वीप को श्रद्धांजलि स्वरूप ज़ुबीन गर्ग आइलैंड नाम दिया गया है। यह नाम अब Google Maps पर भी दिख रहा है जिससे उनकी स्मृति हमेशा जीवित रहेगी।
Zubeen Garg की मौत दुर्घटना या साजिश ?
हालांकि शुरुआत में इसे एक दुर्घटना बताया गया लेकिन कुछ चश्मदीदों ने दावा किया है कि ज़ुबीन की मौत केवल एक हादसा नहीं थी। रिपोर्ट्स के अनुसार वह अपने परिवार और टीम के साथ याच से घूमने निकले थे। इस बीच त्योहार आयोजक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है अपनी जान और स्वतंत्रता की रक्षा की मांग करते हुए। इससे मामले में नया मोड़ आ गया है।
ज़ुबीन की विरासत और सांस्कृतिक प्रभाव
ज़ुबीन गर्ग न केवल एक गायक थे बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक भी थे जिन्होंने असम की विविध धार्मिक और जातीय पृष्ठभूमियों को जोड़ने का काम किया। उनके गाने हिन्दू-मुस्लिम सभी समुदायों में समान रूप से लोकप्रिय थे। उनकी मौत के बाद असम भर में लोगों ने मोमबत्तियाँ जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।