उत्तराखंड में UCC हुआ लागू : शादी, तलाक के आए नए नियम

उत्तराखंड सरकार द्वारा 22 जनवरी 2025 को समान नागरिक संहिता (UCC) की अधिसूचना जारी कर दी, जिससे यह कानून राज्य में लागू हो गया है। पूरे देश में उत्तराखंड ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। इस कानून का उद्देश्य लोगों के जीवन से जुड़े मामलों में समानता और स्पष्टता लाना है जिसमें शादी, तलाक, संपत्ति उत्तराधिकार जैसे कई मुद्दे शामिल हैं।

शादी के होंगे नए नियम
UCC के तहत, शादी केवल उन्हीं व्यक्तियों के बीच हो सकती है जिनमें से किसी का भी जीवनसाथी जीवित न हो, दोनों मानसिक रूप से सक्षम हों, लड़के का आयु 21 वर्ष और लड़की की आयु 18 वर्ष हो और वे प्रतिबंधित संबंधों की संख्याओं न आते हों। शादी किसी भी धार्मिक रीति-रिवाज या कानूनी प्रक्रिया के तहत की जा सकती है, लेकिन इसे 60 दिनों के अंदर रजिस्टर कराना अनिवार्य होगा और जो शादियाँ 26 मार्च 2010 से पहले या राज्य से बाहर हुई हैं, उन्हें भी इस अधिनियम के लागू होने के 6 महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। हालांकि, पहले से रजिस्टर्ड शादियों को दोबारा रजिस्टर करने की आवश्यकता नहीं है, मगर उनके रजिस्ट्रेशन का सत्यापन जरूरी होगी।

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तलाक के नियम क्या होगी
तलाक के मामलों में, शादी के एक वर्ष के अंदर ही तलाक के लिए किसी भी तरह की अर्जी दायर नहीं की जा सकेगी। इसके अतिरिक्त बगैर तलाक लिए दूसरी शादी करना भी अवैध माना जाएगा जिससे बहुविवाह पर रोक लगेगी ये नियम सभी धर्मों के लोगों पर लागू होगा, जिससे मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक जैसी प्रथाओं का खत्म हो जाएगा।

संपत्ति उत्तराधिकार के नियम क्या होंगे
इस कानून के अनुसार संपत्ति उत्तराधिकार के मामलों में सभी संतानों को बराबर का अधिकार मिलेगा चाहे वो खुद की सन्तान हों या गोद ली गई। लड़कियों को भी माता पिता की संपत्ति में समान अधिकार दिया गया है। इसके अलावा मुस्लिम समाज की महिलाएं भी अब बच्चों को गोद ले सकेंगी। UCC के अंदर बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल को लेकर भी विशेष प्रावधान किए गए हैं।

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लोगों की प्रतिक्रियाएँ और आलोचनाएँ
उत्तराखंड मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कदम को महिलाओं के लिए एक बड़ी जीत बताया है। हालांकि कुछ मुस्लिम नेताओं और महिला अधिकार समूहों ने इस कानून की आलोचना भी की है, इसे मुस्लिम विरोधी और हिंदू बहुसंख्यक नीतियों को जबरदस्ती थोपने की कोशिश बताया है। उनका कहना है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है

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