TARIFF: अमेरिका की आर्थिक स्थिति इन दिनों चर्चा का केंद्र बनी हुई है। एक ओर जहां शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं दूसरी ओर मंदी की आशंकाएं तेज हो रही हैं। इस बीच, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान कि “अमेरिका में कोई महंगाई नहीं है” और “टैरिफ एक खूबसूरत चीज है,” लोगों के बीच हैरानी और बहस का कारण बन गया है। ट्रंप की टैरिफ नीति, जिसे वे अपनी “अमेरिका फर्स्ट” सोच का हिस्सा बताते हैं, अब देश की अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ती नजर आ रही है।

शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल
हाल ही में अमेरिकी शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल देखी गई। प्रमुख सूचकांक जैसे डाउ जोन्स, नैस्डैक और एसएंडपी 500 में बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिसे कई विशेषज्ञ टैरिफ नीति से जोड़कर देख रहे हैं। ट्रंप ने विभिन्न देशों से आयात पर भारी शुल्क लगाने की वकालत की है, जिसका मकसद अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना था। लेकिन इसका उल्टा असर देखने को मिल रहा है। आयातित सामानों की कीमतें बढ़ने से आम लोगों की जेब पर बोझ पड़ रहा है। खाने-पीने की चीजों से लेकर ऑटोमोबाइल तक, हर चीज महंगी होती जा रही है, जो ट्रंप के “कोई महंगाई नहीं” के दावे को खोखला साबित कर रही है।
TARIFF पर अर्थशास्त्रियों का क्या है मानना
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि टैरिफ के कारण वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित हुई है। इससे न केवल अमेरिकी कंपनियों की लागत बढ़ी है, बल्कि रोजगार पर भी संकट मंडरा रहा है। कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर यही स्थिति रही, तो अमेरिका मंदी के मुहाने पर पहुंच सकता है। शेयर बाजार की गिरावट ने निवेशकों का भरोसा डगमगा दिया है, और कई लोग इसे “ब्लैक मंडे” की संज्ञा दे रहे हैं।
ट्रंप होना चाहते लोकप्रिय
ट्रंप का टैरिफ को “खूबसूरत” कहना उनके समर्थकों के बीच तो लोकप्रिय हो सकता है, लेकिन हकीकत इससे अलग है। आम अमेरिकी नागरिक अब बढ़ती कीमतों और आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या यह नीति वाकई अमेरिका को मजबूत कर रही है, या फिर यह एक ऐसा कदम है जो उल्टा पड़ गया? आने वाले दिन इसकी सच्चाई को और साफ करेंगे।