नई दिल्ली। Satyapal Malik Net Worth, पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन 5 अगस्त 2025 को हो गया। 79 वर्षीय मलिक लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उन्होंने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दोपहर लगभग 1:10 बजे अंतिम सांस ली। उनके निधन की जानकारी परिवार के सदस्यों और नज़दीकी सूत्रों द्वारा साझा की गई है।
अंतिम समय तक बीमारी से जूझते रहे
सूत्रों के अनुसार, सत्यपाल मलिक किडनी से संबंधित बीमारी से पीड़ित थे और कुछ समय से वेंटिलेटर पर थे। उन्हें पिछले हफ्ते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन इलाज के बावजूद उनकी हालत में सुधार नहीं हो पाया।
Satyapal Malik Net Worth: कितनी संपत्ति छोड़ गए पीछे?
उपलब्ध सार्वजनिक रिकॉर्ड और पुराने चुनावी दस्तावेज़ों के अनुसार, सत्यपाल मलिक के पास (Satyapal Malik Net Worth) लगभग ₹4 से ₹5 करोड़ की कुल संपत्ति थी
उनके पास दिल्ली और उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि, एक मकान और बैंक में जमा राशि थी। वे एक सादगीपूर्ण जीवन जीने के लिए जाने जाते थे और फिजूलखर्ची से दूर रहते थे।
लंबा और प्रभावशाली राजनीतिक करियर
1. सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर 1974 में विधायक बनने से शुरू हुआ।
2. सत्यपाल मलिक ने लोकसभा (1989-91) और राज्यसभा (1980-89) का भी प्रतिनिधित्व किया।
3. वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) से जुड़े रहे और कई पदों पर रहे।
राज्यपाल के तौर पर उनकी सेवाएं
उन्होंने निम्न राज्यों में राज्यपाल के रूप में कार्य किया:
1. बिहार (2017-2018)
2. जम्मू-कश्मीर (2018-2019) जहां उनके कार्यकाल के दौरान अनुच्छेद 370 हटाया गया।
3. गोवा (2019-2020)
4. मेघालय (2020-2022)
जम्मू-कश्मीर में वे अंतिम पूर्णकालिक राज्यपाल रहे जब 2019 में राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया। (सोशल मीडिया X अकाउंट)
किसानों के समर्थन में मुखर
राज्यपाल पद से हटने के बाद भी सत्यपाल मलिक किसानों के अधिकारों के समर्थन में खुलकर बोलते रहे। उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की और कृषि कानूनों को लेकर कई बार चर्चित बयान दिए।
अंतिम विदाई
उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए दिल्ली स्थित निवास पर रखा जाएगा।
अंतिम संस्कार कल (6 अगस्त 2025) को बागपत, उत्तर प्रदेश में उनके पैतृक गांव में किया जाएगा।
सत्यपाल मलिक का जीवन सादगी, संघर्ष और स्पष्टवादिता का प्रतीक रहा।
उनका राजनीतिक योगदान और जनहित के मुद्दों पर मुखरता हमेशा याद की जाएगी।