कर्नाटक राज्य में जाति सर्वे (karnataka jati janganana) कराया गया जिसकी की रिपोर्ट लीक हो गई है। इसके बाद वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय में काफी आक्रोश है। 17 अप्रैल को होने वाली बैठक में अब मंत्री भी बंट सकते हैं।
कर्नाटक के अंदर जाति सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले ही कांग्रेस पार्टी के अंदर हड़कंप मचने की संभावना बढ़ रही है। इस जनगणना के आंकड़ों को लेकर पूरे प्रदेश में लिंगायतों और वोक्कालिगा समुदाय में पहले से ही पहले ही खलबली मच गई है। 17 अप्रैल को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इस बैठक में कांग्रेस के मंत्री ही दो धड़ों में बंट सकते हैं। इस बैठक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों के ही समर्थक अपनी-अपनी खींचने की कोशिश करेंगे।
आपको बता दें कर्नाटक में लीक हुई जाती सर्वे रिपोर्ट के अनुसार ये पता चला है कि वहां मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है। वहीं दूसरे स्थान पर एससी और एसटी वर्ग का नंबर आता है। ऐसे में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की स्थिति कहीं ना कहीं कमजोर हो सकती है। वहीं राहुल गांधी और सिद्धारमैया मजबूत स्थित में नजर आ सकते हैं।
karnataka jati janganana से डीके शिवकुमार को कमजोर होने का खतरा
कर्नाटक में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय काफी प्रभावशाली माना जाता है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं। वहीं सर्वे में समुदाय की संख्या कम होने से उनका राजनीतिक कद घटने का भी खतरा है। ऐसे में उनपर कमजोर होने का खतरा बना हुआ है। राज्य में अक्सर जनसंख्या के आधार पर ही नेताओ के कद का फैसला अकसर किया जाता है। वही दूसरी तरफ राहुल गांधी और सिद्धारमैया सामाजिक न्याय की राजनीति को खूब हवा दे रहे हैं।
वैसे देखा जाए तो अमूमन राज्य में जिस समुदाय(जाती) की सबसे अधिक जनसंख्या होती उसी के नेता मंत्रिपद और मुख्यमंत्री पद के लिए भी दावेदार माने जाते हैं। उद्योग मंत्री एमबी पाटिल लिंगायत नेता हैं। उन्होंने जाती सर्वे की रिपोर्ट पर पहले ही कई सवाल उठा दिए हैं। उनका कहना है कि राज्य में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा है। उन्होंने कहा कि सर्वे की रिपोर्ट सही नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके समुदाय के बहुत सारे लोगों को हिंदू सदर, हिंदू गानिया और हिंदू बनाजिगा के अंतरगत रखा गया है। ऐसे में उनकी गणना लिंगायत में हुई ही नहीं है।
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कहा है कि इस रिपोर्ट की कमियों के बारे में पता लगाया जाएगा और उसमें सुधार किया जाएगा। वोक्कालिगा संघ और वीराशैव महासभा दोनों राज्य में एक प्रभावशाली संगठन हैं। और उन्होंने इस जातिगत सर्वे को लेकर पहले ही चेतावनी दी थी।bबेंगलुरु में 16 अप्रैल को वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय के नेताओं की भी बैठक होने वाली है। जिसने ये फैसला किया जाएगा कि अब उन्हें आगे क्या करना है।
वहीं आपको बता दूँ इस जाति सर्वे और टेंडर में मुस्लिमों के आरक्षण को लेकर कांग्रेस पार्टी BJP के भी निशाने पर है। भारतीय जनता पार्टी के द्वारा ये कहा गया कि सिद्धारमैया किसी तरह यह साबित करना चाहते हैं कि राज्य में मुस्लिमों की आबादी सबसे ज्यादा है। वह चाहते हैं कि मुस्लिमों का तुष्टीकरण किया जाए। बीजेपी और आरएसएस जातिगत सर्वे का इसलिए भी विरोध करते हैं क्योंकि उन्हें हिंदू वोट के बंटने का डर है