Kab Aayega Manregha Paisa 2025 : बिहार में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम कर चुके हजारों मजदूरों को अब तक अपनी मजदूरी नहीं मिली है। 2025 की शुरुआत से अब तक कई जिलों में मजदूरों को 3-4 महीने से भुगतान का इंतजार है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है।
मुज़फ़्फ़रपुर जिले के एक मजदूर रामनाथ साह कहते हैं, “जनवरी में काम किया था, लेकिन अब तक एक रुपया भी नहीं मिला। बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च दोनों ठप पड़ गए हैं।” ऐसी ही स्थिति दरभंगा, सीवान और गया जैसे जिलों में भी देखी जा रही है।

बजट की कमी बनी बाधा
2024-25 के केंद्रीय बजट में मनरेगा के लिए कोई अतिरिक्त राशि आवंटित नहीं की गई। इससे लगभग ₹4,315 करोड़ की कमी हो गई है, जो मजदूरी भुगतान में देरी का मुख्य कारण बताया जा रहा है।
तकनीकी अड़चनें भी जिम्मेदार
सरकार द्वारा आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) को अनिवार्य किए जाने के बाद मजदूरों की परेशानी और बढ़ गई है। अब तक बिहार में केवल 43% मजदूर ही इस सिस्टम के तहत पात्र हैं। बाकी मजदूरों का भुगतान इसलिए अटका हुआ है क्योंकि उनके बैंक खाते आधार से लिंक नहीं हो सके या तकनीकी वजहों से रिजेक्ट हो गए हैं।
सरकार का दावा और वास्तविकता
ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, मनरेगा के तहत 95% मजदूरी भुगतान 15 दिनों के भीतर हो रहे हैं। लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिल्कुल उलट है। [The Hindu] की रिपोर्ट के मुताबिक, कई मजदूरों को महीनों से भुगतान नहीं मिला है, जिससे वे कर्ज में डूबते जा रहे हैं।
मजदूरों की अपील
राज्य और केंद्र सरकार से मजदूरों की अपील है कि जल्द से जल्द लंबित मजदूरी का भुगतान किया जाए और तकनीकी बाधाओं को दूर किया जाए। इसके साथ ही ग्रामीण स्तर पर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर काम की निगरानी तेज करने की भी मांग की जा रही है।
भुगतान की स्थिति ऐसे करें चेक
बिहार मजदूर nrega.nic.in या पंचायत कार्यालय में जाकर अपने जॉब कार्ड की मदद से भुगतान की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
मनरेगा मजदूरों के लिए यह वक्त बेहद कठिन है। सरकार को चाहिए कि वह फौरन इस संकट की गंभीरता को समझे और सभी लंबित भुगतान जल्द से जल्द जारी करे, ताकि गरीब मजदूरों को राहत मिल सके और उनकी आजीविका सुरक्षित रहे।
BY NAVED KHAN
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