Bihar Education News: पोते-पोतियों की क्लास में दादा-दादी बने विद्यार्थी

Bihar Education News: गया जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित इमामगंज प्रखंड के बिकोपुर पंचायत में शिक्षा की एक अनोखी पहल ने लोगों का ध्यान खींचा है। यहां रानीपुर और वहां के आसपास के गांव के बुजुर्ग, जिनकी उम्र 50 से 80 साल के

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UPDATED: Saturday, August 16, 2025

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Bihar Education News: गया जिला मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर नक्सल प्रभावित इमामगंज प्रखंड के बिकोपुर पंचायत में शिक्षा की एक अनोखी पहल ने लोगों का ध्यान खींचा है। यहां रानीपुर और वहां के आसपास के गांव के बुजुर्ग, जिनकी उम्र 50 से 80 साल के बीच है, वो लोग अब बच्चों से पढ़ाई कर रहे हैं। खास बात यह है कि उन्हें पढ़ाने वाले कोई शिक्षक नहीं, बल्कि उनके अपने पोते-पोतियां हैं।

‘क, ख, ग’ और ‘ABCD’ की गूंज

गांव की गलियों और घरों में इन दिनों पढ़ाई का माहौल देखने को मिल रहा है। बच्चे अपने दादा-दादी और नाना-नानी को पढ़ाते हैं। दूर से देखने पर लगता है मानो बुजुर्ग बच्चों को शिक्षा दे रहे हों, लेकिन हकीकत इसके उलट है। छोटे बच्चे और युवा अब बुजुर्गों को साक्षर बना रहे हैं।

70 साल की इतवरिया देवी का उत्साह

Bihar Education News,रानीपुर गांव की 70 वर्षीय इतवरिया देवी पहली बार पढ़ाई कर रही हैं। उन्होंने बताया कि कम उम्र में शादी और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण पढ़ाई छूट गई थी। अब पंचायत की मुखिया महरे अंगेज खानम की प्रेरणा और अपने पोते-पोतियों के सहयोग से वे नाम लिखना सीख रही हैं।

80 की उम्र में पढ़ाई शुरू की समुरनी देवी ने

पाठकचक गांव की 80 वर्षीय समुरनी देवी भी स्लेट पर अपना नाम लिखने का अभ्यास कर रही हैं। कमजोर नजर होने के बावजूद उनका कहना है कि पोते से पढ़ना उन्हें गर्व का अनुभव कराता है।

बच्चों से पढ़ने में नहीं रही झिझक

Bihar Education News, शुरुआत में बुजुर्गों को बच्चों से पढ़ाई करने में शर्म महसूस हुई, लेकिन लगातार प्रोत्साहन से वे तैयार हो गए। अब वे कहते हैं कि पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती, बस सीखने का मन होना चाहिए।

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युवाओं का बढ़ा सहयोग

21 वर्षीय दीपू कुमार अपनी मां और गांव के बुजुर्गों को पढ़ाते हैं। दीपू का कहना है कि गांव में अशिक्षा पिछड़ेपन का एक बड़ा कारण बना हुआ हैं। वे चाहते हैं कि अब हर व्यक्ति कम से कम अपना नाम लिख सके और बैंक जैसे जरूरी काम खुद कर पाए।

मुखिया की पहल बनी मिसाल

यह साक्षरता अभियान पंचायत की मुखिया महरे अंगेज खानम और उनके पति छोटन खान की अगुवाई में शुरू हुआ। फिलहाल करीब 250 लोग इस मुहिम से जुड़ चुके हैं। पंचायत भवन से रोजाना इसकी निगरानी की जाती है।

Bihar education news, 75 साल में पहली बार हस्ताक्षर

पाठकचक गांव की 75 वर्षीय अनवरी बीबी और मासूम आलम ने पहली बार अपना नाम लिखकर हस्ताक्षर किया। मासूम आलम ने बताया कि अब वे बैंक और सरकारी काम में आसानी से दस्तखत कर सकते हैं।

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अभियान का लक्ष्य

मुखिया महरे अंगेज खानम का कहना है कि दिसंबर 2026 तक पूरे पंचायत को साक्षर बनाना उनका लक्ष्य है। उनका मानना है कि अशिक्षा की वजह से बुजुर्ग कई बार बैंकिंग और दूसरे मामलों में ठगी के शिकार हो जाते हैं।

शिक्षा को मिला सम्मान

मुखिया के प्रयासों की सराहना करते हुए नीति आयोग ने उन्हें सम्मानित किया है। साल 2022 में उन्हें पंडित दीनदयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार भी मिला, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 लाख रुपये की राशि प्रदान की।

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शिक्षा से बदल रहा माहौल

Bihar Education News,इमामगंज इलाका कभी नक्सल गतिविधियों के लिए जाना जाता था। लेकिन अब यहां गोलियों की आवाज की जगह ‘क, ख, ग’ और ‘ABCD’ की गूंज सुनाई दे रही है। यह पहल न सिर्फ बुजुर्गों को साक्षर बना रही है, बल्कि समाज में एक नई सोच और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने का संदेश भी दे रही है।

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