Ashok Siddharth: मायावती ने पूर्व सांसद अशोक सिद्धार्थ का निष्कासन रद्द किया बीएसपी का बड़ा फैसला

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रविवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ (Ashok Siddharth) का निष्कासन वापिस ले लिया। कुछ महीनों पहले, अशोक सिद्धार्थ को पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में सक्रिय पाए जाने के कारण पार्टी से बाहर

EDITED BY: thevocalbharat.com

UPDATED: Monday, September 8, 2025

Ashok Siddharth

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने रविवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए पूर्व राज्यसभा सांसद अशोक सिद्धार्थ (Ashok Siddharth) का निष्कासन वापिस ले लिया। कुछ महीनों पहले, अशोक सिद्धार्थ को पार्टी के खिलाफ गतिविधियों में सक्रिय पाए जाने के कारण पार्टी से बाहर कर दिया गया था।
अशोक सिद्धार्थ (Ashok Siddharth) की माफी और संकल्प

रविवार को, अशोक सिद्धार्थ ने सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट साझा किया, जिसमें उन्होंने अपनी गलतियों को स्वीकार किया। उन्होंने बीएसपी और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के आंदोलन को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ आगे बढ़ाने का प्रण लिया। इसके साथ ही, उन्होंने पार्टी के नेतृत्व और कार्यकर्ताओं से सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांगी।

मायावती का रुख अनुशासन और सम्मान

बीएसपी द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि पार्टी अनुशासन का पालन करने वाले कार्यकर्ताओं को हमेशा प्राथमिकता देती है। मायावती की राय है कि अगर कोई कार्यकर्ता अपनी गलतियों का अहसास कर आंदोलन के प्रति पूरी प्रतिबद्धता दिखाता है, तो उसे संगठन में एक और मौका देना उचित है।

स्थानीय कार्यकर्ताओं में उत्साह

अशोक सिद्धार्थ, जो कायमगंज (फर्रुखाबाद) के मोहल्ला पटवनगली के रहने वाले हैं, की वापसी की खबर से क्षेत्र में उत्साह का माहौल बन गया। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने मिठाइयाँ बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया और जयकारे लगाए। समर्थकों ने बताया कि सिद्धार्थ (Ashok Siddharth) हमेशा से आधारभूत नेता रहे हैं और वे संगठन में नई ऊर्जा का संचार करेंगे।

राजनीतिक विश्लेषण चुनावी दृष्टिकोण से अहम कदम

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीएसपी का यह निर्णय आगामी चुनावों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में घटते मत प्रतिशत और बदलते राजनीतिक समीकरणों के मद्देनजर, बीएसपी को एक मजबूत संगठनात्मक ढांचा और अनुभवी नेताओं की आवश्यकता है।

अनुशासन और निष्ठा का संदेश

पार्टी का मानना है कि इस घटनाक्रम से कार्यकर्ताओं के लिए एक स्पष्ट संदेश आया है—अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन आंदोलन के प्रति अपनी निष्ठा साबित करने वालों को पूरक सम्मान और अवसर प्रदान किए जाएंगे।

बसपा की रणनीति और अंदरूनी मजबूती

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय न केवल संगठनात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए बसपा की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है। पार्टी फिलहाल अपनी पुरानी जड़ों को फिर से मजबूत करने में जुटी हुई है, खासकर दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों में अपना खोया आधार पाने की कोशिश कर रही है।

Ashok Siddharth

मायावती का स्पष्ट संदेश

मायावती द्वारा अशोक सिद्धार्थ (Ashok Siddharth) को पार्टी में पुनः शामिल करना केवल एक नेता की वापसी भर नहीं है, बल्कि यह निर्णय संगठनात्मक मूल्यों, सामाजिक आंदोलन के प्रति समर्पण और राजनीतिक परिपक्वता का प्रतीक है। इससे यह भी संदेश गया कि बसपा में सुधार की गुंजाइश है, बशर्ते निष्ठा और अनुशासन कायम रखा जाए।

व्यक्तिगत रिश्तों से ऊपर संगठन

यह निर्णय केवल राजनीतिक नहीं है, बल्कि इसमें एक व्यक्तिगत आयाम भी जुड़ा हुआ है। अशोक सिद्धार्थ (Ashok Siddharth) बसपा के पूर्व राष्ट्रीय समन्वयक और मायावती द्वारा हाल ही में पार्टी से बाहर किए गए आकाश आनंद के ससुर हैं। ऐसे में अशोक सिद्धार्थ की वापसी को मायावती ने व्यक्तिगत रिश्तों से ऊपर उठकर एक राजनीतिक और संगठनात्मक निर्णय बताया।

बसपा कार्यकर्ताओं में नया जोश

पार्टी हित और अनुशासन सर्वोपरि—बसपा के राजनीतिक इतिहास में यह पहली बार नहीं है जब मायावती ने आत्मग्लानि और सुधार की भावना को स्थान देते हुए निष्कासित नेताओं को वापस लिया हो। इस फैसले से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है और संगठन को मजबूती मिलने की उम्मीद है।

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