नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025 – बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में चर्चा का विषय बना। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सोशल एक्टिविस्ट योगेंद्र यादव ने कोर्ट में एक महिला और पुरुष को पेश करते हुए दावा किया कि उन्हें बिहार की ड्राफ्ट voters rolls में ‘मृत’ घोषित कर दिया गया है।
योगेंद्र यादव का दावा
योगेंद्र यादव ने कहा कि SIR प्रक्रिया के चलते 65 लाख से अधिक मतदाता प्रभावित हुए हैं और चुनाव आयोग का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान असफल रहा है।
इस पर चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने जवाब दिया कि यह नाटक टीवी स्टूडियो में हो सकता है और अगर कोई गलती हुई है तो योगेंद्र यादव ऑनलाइन फॉर्म भरकर इसे सुधार सकते थे। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कम से कम यह गर्व की बात है कि नागरिक अपनी बात कोर्ट में रख रहे हैं।
voters rolls पर चुनाव आयोग ने कहा
चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि ड्राफ्ट voters rolls में नाम जोड़ने या हटाने के लिए 30 अगस्त तक का समय निर्धारित है। आयोग ने राजनीतिक दलों से भी अपने एजेंट नियुक्त करने का आग्रह किया और कहा कि लोकतंत्र को खतरे में बताने की बजाय वोटर लिस्ट को पारदर्शी बनाने में सहयोग करें।
गलत दर्ज किया उम्र
सुनवाई में यह भी सामने आया कि सीवान जिले की 34 वर्षीय मिंता देवी के वोटर आईडी में उनकी उम्र 124 वर्ष दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को नागरिकता का अंतिम प्रमाण नहीं मानने के चुनाव आयोग के स्टैंड का समर्थन भी किया।