हिरोशिमा दिवस 2025: जब परमाणु बम ने छीने थे लाखों जीवन, जानें ‘हिबाकुशा’ की दर्दनाक कहानी

हिरोशिमा दिवस 2025: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु बम गिराए। इन हमलों में लगभग दो लाख लोगों की जान गई। यह मानव इतिहास में अब तक का पहला और आखिरी मौका था जब युद्ध में परमाणु बम

EDITED BY: thevocalbharat.com

UPDATED: Wednesday, August 6, 2025

हिरोशिमा

हिरोशिमा दिवस 2025: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु बम गिराए। इन हमलों में लगभग दो लाख लोगों की जान गई। यह मानव इतिहास में अब तक का पहला और आखिरी मौका था जब युद्ध में परमाणु बम का इस्तेमाल किया गया।
हर साल 6 अगस्त को ‘हिरोशिमा दिवस’ मनाया जाता है, ताकि इस त्रासदी को याद रखा जा सके और दुनिया को परमाणु हथियारों के ख़तरों से आगाह किया जा सके।

बमबारी का विवरण
1. हिरोशिमा: 6 अगस्त 1945 को सुबह 8:15 बजे बी-29 बॉम्बर Enola Gay से गिराए गए ‘लिटिल बॉय’ नामक परमाणु बम ने लगभग 1,40,000 लोगों की जान ले ली।
2. नागासाकी: इसके तीन दिन बाद, 9 अगस्त 1945 को सुबह 11:02 बजे गिराए गए ‘फैट मैन’ बम ने 74,000 लोगों की जान ली।

हिरोशिमा पर गिरे बमों के बारे में

‘लिटिल बॉय’ यह यूरेनियम आधारित बम था, जिसने हिरोशिमा का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस (7200 फ़ारेनहाइट) तक पहुँचा दिया। तीन किलोमीटर के दायरे में सब कुछ जलकर राख हो गया। ‘फैट मैन’ यह प्लूटोनियम आधारित बम था, जिसकी ताक़त 21 किलोटन TNT के बराबर थी।
विनाश की तस्वीर

हिरोशिमा
PHOTO – TV9 Bharatvarsh

हिरोशिमा: शहर का लगभग 70% ढाँचा नष्ट हो गया इमारतें, स्कूल, घर, व्यापारिक प्रतिष्ठान सब तबाह।
नागासाकी: शहर का 44% हिस्सा बर्बाद हो गया।
ताज़ा आँकड़े (अगस्त 2024): हिरोशिमा में 3,44,306 और नागासाकी में 1,98,785 मौतें दर्ज की गईं, जिनमें रेडिएशन से जुड़ी बीमारियाँ और चोटें भी शामिल हैं।

हिरोशिमा
PHOTO – Bikini,Atoll

कौन थे ‘हिबाकुशा’?

हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमले के बचे हुए लोग ‘हिबाकुशा’ कहलाए।
1. उन्हें रेडिएशन से जुड़ी बीमारियों ने घेर लिया।
2. यह प्रभाव पीढ़ियों तक चला, जिससे बच्चों में विकलांगता और कैंसर व ल्यूकेमिया जैसी घातक बीमारियों का ख़तरा बढ़ा।
3. भेदभाव का शिकार: जापान में लोग हिबाकुशा से शादी करने या उन्हें नौकरी देने से कतराते थे। अफ़वाहें थीं कि उनका संपर्क खतरनाक है और उनकी संतान भी बीमार हो सकती है।
4. बमबारी के बाद यह माना गया कि ग्राउंड ज़ीरो पर जीवन पूरी तरह समाप्त हो गया होगा। लेकिन कुछ ही महीनों में घास-फूस और पौधे उग आए।
5. 1946 की वसंत ऋतु में ओलियंडर के फूल खिले, जो जीवन की वापसी और उम्मीद का प्रतीक बने।

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