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अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सहित तीन और को मिली जमानत, आत्महत्या ने उठाए कई सवाल

BY. Aamir iqbal

बेंगलुरु के रहने वाले एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष 34 की आत्महत्या का मामला पूरे देशभर में एक चर्चा का विषय बन गया है। 9 दिसंबर 2024 को अतुल ने अपने घर में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। आत्महत्या से पहले अतुल ने 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट और 81 मिनट का वीडियो छोड़ा जिसमें उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार पर गंभीर आरोप लगाए।

Photo credit by ETV Bharat

आरोपों की कहानी
अतुल और निकिता की शादी 2019 में हुई थी लेकिन बीते तीन सालों से वे अलग रह रहे थे। अतुल अपने सुसाइड नोट और वीडियो में आरोप लगाया कि निकिता और उनकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया ने उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। उन्होंने ये भी दावा किया कि उनकी पत्नी और उनके परिवार ने उनसे 3 करोड़ रुपये की मांग की और तलाक के लिए 2 लाख रुपये महीना गुजारा भत्ता देने का दबाव बनाया।
अतुल के द्वारा यह भी आरोप लगाया कि उन्हें उनके चार साल के बेटे से मिलने नहीं दिया जाता था और उन पर झूठे दहेज उत्पीड़न के मामले दर्ज कराए गए।
न्यायिक प्रक्रिया पर भी खड़ा किया गया सवाल
अतुल ने अपने सुसाइड नोट में एक फैमिली कोर्ट के जज पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि जज ने उनसे 5 लाख रुपये की बड़ी रकम की रिश्वत मांगी और उनकी स्थिति का मजाक उड़ाया।

पुलिस के द्वारा किया गया कारवाई और गिरफ्तारी
अतुल की मौत के बाद बेंगलुरु पुलिस ने निकिता उनकी मां निशा और भाई अनुराग को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। तीनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
हालांकि 4 जनवरी 2025 को बेंगलुरु की एक अदालत ने तीनों को जमानत दे दी है। इस फैसले से पीड़ित परिवार मे नाराजगी हैं और पीड़ित पक्ष ने उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है।
जनता के द्वारा दिया गया प्रतिक्रिया और प्रदर्शन
अतुल की मौत ने देशभर में पुरुष अधिकार संगठनों को सक्रिय कर दिया है। इस घटना पर दिल्ली मुंबई बेंगलुरु और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर न्याय की मांग की। प्रदर्शनकारियों के द्वारा ये कहा गया था कि भारत में दहेज विरोधी कानूनों का दुरुपयोग बढ़ता जा रहा है जिससे पुरुष और उनके परिवार झूठे मामलों में फंस रहे हैं।

क्या रहीं कानूनी बहस
यह मामला दहेज कानूनों के संतुलन पर फिर से बहस का कारण बन गया है। जहां एक ओर दहेज की मांग से जुड़े अपराधों पर कड़ी कारवाई की आवश्यकता है वहीं दूसरी ओर झूठे मामलों से बचाव के लिए भी सुधार की जरूरत देखी की जा रही है।

क्या निकला निष्कर्ष
अतुल सुभाष की आत्महत्या ने भारतीय समाज और न्याय व्यवस्था में व्याप्त समस्याओं को उजागर किया है। यह मामला कानून के दुरुपयोग और मानसिक प्रताड़ना के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर देता है।
आगे की कानूनी प्रक्रिया और इस मामले के नतीजे यह तय करेंगे कि क्या यह घटना सिस्टम में सुधार का कारण बन सकेगी।
फिलहाल इस केस में अतुल सुभाष की पत्नि निकिता उसकी माँ और उसका भाई तीनों को बंगलुरु के अदालत ने ज़मानत दे दी है

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