22 फरवरी 2025 : शहबाज शरीफ, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर बड़ा बयान देकर सुर्खियाँ बटोर ली हैं। कर्ज के बोझ तले दबे अपने देश की हालत को दरकिनार करते हुए उन्होंने कहा, “अगर तरक्की में हम भारत से आगे नहीं निकले तो मेरा नाम शहबाज शरीफ नहीं।” यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है, महंगाई आसमान छू रही है और आम लोग दो वक्त की रोटी के लिए तरस रहे हैं। शहबाज के इस दावे पर लोग हैरान हैं कि क्या वह अपनी औकात भूल गए हैं या यह बस एक और जुमला है?
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पाकिस्तान की हकीकत
पाकिस्तान आज कर्ज में इतना डूबा हुआ है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से लेकर सऊदी अरब और चीन तक, हर देश से भीख माँगने की नौबत आ चुकी है। हाल ही में IMF से मिली किश्त ने थोड़ी राहत तो दी, लेकिन यह बस एक टाइमपास इलाज है। मुल्क का खजाना खाली है, बिजली की कीमतें आसमान पर हैं, और कारोबारी कह रहे हैं कि अब व्यापार करना नामुमकिन हो गया है। कराची में उद्योगपतियों से मुलाकात के दौरान शहबाज ने बांग्लादेश की तरक्की का जिक्र करते हुए कहा था कि उनकी प्रगति देखकर हमें शर्मिंदगी होती है। ऐसे में भारत से आगे निकलने की बात सुनकर लोग हँस रहे हैं कि पहले अपने घर को तो संभाल लें!
भारत से तुलना
भारत की अर्थव्यवस्था आज दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जो तेजी से आगे बढ़ रही है। अंतरिक्ष में चंद्रयान से लेकर तकनीक और बुनियादी ढाँचे तक, भारत हर क्षेत्र में छाप छोड़ रहा है। दूसरी तरफ, पाकिस्तान बिजली कटौती और आतंकवाद जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। शहबाज का यह बयान भारत से मुकाबले की बात तो करता है, लेकिन हकीकत यह है कि दोनों देशों के बीच जमीन-आसमान का फर्क है। जानकारों का कहना है कि शहबाज की यह बात जनता का ध्यान बँटाने की कोशिश हो सकती है, क्योंकि घरेलू मोर्चे पर उनकी सरकार नाकाम साबित हो रही है।
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सोशल मीडिया पर हंगामा
शहबाज के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर तंज कसने वालों की बाढ़ आ गई। एक यूजर ने लिखा, “पहले कर्ज का बोझ उतारो, फिर भारत से मुकाबले की बात करना।” किसी ने चुटकी लेते हुए कहा, “शहबाज साहब, नाम बदलने से पहले देश की हालत बदल लीजिए।” वहीं, कुछ लोगों ने इसे उनकी हताशा का नतीजा बताया, क्योंकि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में भी कश्मीर का राग अलापने पर उन्हें कोई तवज्जो नहीं मिली थी। भारत ने वहाँ उनकी बातों को “हास्यास्पद” कहकर खारिज कर दिया था।
क्या है शहबाज का मकसद
शहबाज शरीफ इससे पहले भी भारत से बातचीत की पेशकश कर चुके हैं, लेकिन हर बार कश्मीर का मुद्दा उठाकर अपनी पुरानी लाइन पर अड़े रहे। जानकार मानते हैं कि यह बयान उनकी घरेलू राजनीति को सँभालने की कोशिश हो सकता है। इमरान खान की पार्टी PTI अब भी सड़कों पर है, और शहबाज की सरकार को स्थिरता की सख्त जरूरत है। ऐसे में भारत से तुलना करके वह जनता में जोश भरना चाहते हों, लेकिन यह जोश कितना कामयाब होगा, यह वक्त बताएगा।
पाक जनता का गुस्सा
पाकिस्तान के आम लोग इस बयान से खुश नहीं हैं। एक दुकानदार ने कहा, “हमें रोजी-रोटी चाहिए, भारत से मुकाबले की बातें नहीं।” लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब बिजली, पानी और रोटी का इंतजाम नहीं हो पा रहा, तो ऐसी बड़ी-बड़ी बातें करने का क्या फायदा? शहबाज की पार्टी PML-N को भी इस बयान से नुकसान हो सकता है, क्योंकि जनता अब जुमलों से तंग आ चुकी है।
शहबाज शरीफ का यह बयान हवा में तीर चलाने जैसा लगता है। भारत से आगे निकलने की बात तब मायने रखती, जब पाकिस्तान अपनी बुनियादी समस्याओं से उबर पाता। फिलहाल तो कर्ज में डूबा यह मुल्क खुद को सँभालने की जद्दोजहद में है। शहबाज साहब, नाम बदलने से पहले शायद देश की सूरत बदलने की जरूरत है, वरना यह बयान बस एक हँसी का पात्र बनकर रह जाएगा।
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