The Vocal Bharat

जानिएं बिहार में मनरेगा 2025 के नए नियम और लाभ!

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम जिसे मनरेगा के नाम से भी जानते हैं, भारत सरकार की एक ऐतिहासिक योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में मज़दूरों को 100 दिनों का सुनिश्चित रोज़गार देना है। बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में, जहाँ बड़ी संख्या में लोग पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं, मनरेगा ने ग्रामीण रोज़गार को एक नया आयाम दिया है। यह योजना न केवल रोज़गार सृजन में सहायक रही बल्कि गाँवों के बुनियादी ढांचे और संसाधनों के विकास में भी इसकी अबतक महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
मनरेगा अधिनियम 2005 में पारित हुआ और 2006 में इसे पूरे देश में चरणबद्ध रूप से लागू किया गया था। इस योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. ये योजना ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा प्रदान करती है तथा आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को मज़दूरी आधारित रोज़गार देने का काम करती हैं।
  2. सतत विकास को बढ़ावा देना : जल संरक्षण, भूमि सुधार, वनीकरण और ग्रामीण सड़क निर्माण जैसे कार्यों को भी प्राथमिकता देने की काम करती है।
  3. ग्रामीण पलायन को रोकना : इस योजना का मुख्य उद्देश्य गाँवों में रोजगार उपलब्ध कराकर मज़दूरों को शहरों की ओर पलायन करने से रोकना है।
  4. महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना : इस योजना के अंदर महिलाओं को भी पर्याप्त काम के अवसर दिए जाते हैं।

बिहार में मनरेगा का प्रभाव
बिहार में मनरेगा का कार्यान्वयन राज्य सरकार और स्थानीय पंचायतों के सहयोग से किया जाता है। ये योजना लाखों ग्रामीण परिवारों को रोज़गार उपलब्ध कराया है और गाँवों में आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में काफी मदद की है।

  1. रोज़गार सृजन
  1. ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास
  1. महिलाओं का सशक्तिकरण

बिहार में मनरेगा से जुड़ी चुनौतियाँ

  1. मजदूरी भुगतान में देरी
    बिहार में मनरेगा से जुड़ी कई चुनौतियां देखने को मिली है, इसके तहत मजदूरों को समय पर भुगतान न मिलना एक बड़ी समस्या रही। हाल की रिपोर्ट्स के अनुसार, बिहार में मजदूरी और सामग्री भुगतान में देरी की कई शिकायतें सामने आई हैं।
  2. भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ा
    बिहार में कई जगहों पर मजदूरों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाकर पैसा निकाला जाता है। बिहार सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए ई-पेमेंट प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में भी काम किया है।
  3. कार्यस्थल पर सुविधाओं की कमी
    मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों के लिए पेयजल, शौचालय और छाया जैसी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी देखने को मिली है।
  4. श्रमिकों के लिए वैकल्पिक अवसरों की जरूरत
    इस योजना के तहत कई बार मजदूरों को 100 दिनों के रोजगार के बाद अन्य अवसरों की कमी महसूस होती है, जिसके कारण वे फिर से पलायन करने को मजबूर होते हैं।

मनरेगा को प्रभावी बनाने के लिए उठाए गए कदम

नवाचार और भविष्य की संभावनाएँ

निष्कर्ष
ये योजना (मनरेगा) बिहार में ग्रामीण रोज़गार और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण योजना साबित हुई है। यह योजना न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है, बल्कि गरीब परिवारों के जीवन स्तर में भी भी सुधार लाने का काम कर रहीं है। हालांकि, इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समय पर मजदूरी भुगतान, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण और बुनियादी सुविधाओं में सुधार की काफी जरूरत है। अगर इन चुनौतियों से सही तरीके से निपटा जाए, तो मनरेगा बिहार को आत्मनिर्भर बनाने में एक बेहतरीन माध्यम बन सकता है।

Exit mobile version