नेट-जीरो मिशन को PM मोदी का समर्थन, दीनदयाल पोर्ट की हरित पहल को बताया प्रेरणास्रोत

नई दिल्ली। भारत के हरित भविष्य और स्थायी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण, कांडला की एक पर्यावरण हितैषी पहल की सराहना की है। उन्होंने इस पहल को नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को मजबूती देने वाला बताया। दरअसल,

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UPDATED: Sunday, August 3, 2025

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नई दिल्ली। भारत के हरित भविष्य और स्थायी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीनदयाल बंदरगाह प्राधिकरण, कांडला की एक पर्यावरण हितैषी पहल की सराहना की है। उन्होंने इस पहल को नेट-जीरो उत्सर्जन लक्ष्य को मजबूती देने वाला बताया।
दरअसल, दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी ने हाल ही में अपने हरित प्रयासों को लेकर X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा किया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, “यह एक सराहनीय प्रयास है, जो स्थिरता को बढ़ावा देता है और हमारे नेट-जीरो विजन को सशक्त बनाता है।”

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2070 तक नेट-जीरो का असर क्या होगा?

भारत सरकार वर्ष 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस दिशा में ग्रीन पोर्ट्स, हरित ऊर्जा, और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू की जा रही हैं। दीनदयाल बंदरगाह की यह पहल उसी दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।
यह पहल न केवल देश के समुद्री व्यापारिक ढांचे को अधिक टिकाऊ बनाने में सहायक है, बल्कि यह अन्य बंदरगाहों और औद्योगिक संस्थानों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करती है। प्रधानमंत्री द्वारा दी गई यह प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि केंद्र सरकार हरित विकास और सतत ऊर्जा समाधान को लेकर पूरी तरह गंभीर है।

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